कुंवारी कन्याएं क्यों नहीं देखती शादी में सिंदूरदान की रस्म
|Wedding Sanatan Dharam: जब किसी लड़के-लड़के की शादी होती है तो हिंदु परंपरा के अनुसार शादी में कई तरह की रस्में होती है। ताकि वर-वधु का दांपत्य जीवन हमेसा सुखमय बना रहे है। शादी से जुड़ी अनेक परंपराएं है जो सदियों से चली आ रही है।
जैसे कि शादी के बाद वर-वधु दांपत्य का जीवन हमेसा खुशहाली भरा रहे उसके लिए विवाह से पहले हल्दी, तिलक, मेहंदी जैसी परंपराओं को निभाया जाता है और विवाह के दौरान वरमाला, सिंदूरदान, फेरे जैसी परंपराएं पूरी की जाती है।
शादी की इन सभी परंपराओं में सिंदूरदान सबसे महत्वपूर्ण परंपरा होती है ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा के बिना शादी अधूरी मानी जाती है। क्योंकि सिंदूरदान ऐसी परंपरा है जिसके बाद दांपत्य हमेसा के लिए साथ जन्मों के बंधन में बंध जाते है।
लेकिन सिंदूरदान एक ऐसी परंपरा जिसे कंवारी लड़कियां नही देखती है? आखिर कुंवारी कन्याएं क्यों नहीं देखती शादी में सिंदूरदान की रस्म चलिए जानते है-
कुंवारी कन्याएं क्यों नहीं देखती शादी में सिंदूरदान की रस्म
विवाह से जुड़ी सभी रस्म कवारी लड़कियां देख सकती है, लेकिन हिंदु मान्यता के अनुसार कवारी लड़कियों के लिए सिंदूरदान की रस्म देखना उचित नही माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की कुंवारी कन्या यदि इस रश्म को देख लेती हैं तो सिंदूरदान का फल पूर्ण नहीं मिलता है।
यही कारण है जब विवाह के समय सिंदूरदान की रस्म होती है। तब उस समय कपड़े की सहायता से चारदिवारी बनाई जाती है। जिसके भीतर वर वधु की मांग में 3 से 6 बार सिंदूर भरता है।
सिंदूर है अखंड सौभाग्य का प्रतीक
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार विवाह में होने वाली सिंदूरदान की रस्म काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि हिंदू धर्म में सिंदूर को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार जहां सिंदूर भरा जाता है वहां सूर्य विराजित होते हैं।
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