Shadi Ke Saat Phere: शादी में सात फेरों का क्या अर्थ हैं?
|Shadi Ke Saat Phere: हिंदू धर्म में जब किसी युवक -युवती का विवाह होता है, तो उसमे अनेक तरह की परम्पराएँ निभाई जाती है. जिसमे से सबसे महत्वपूर्ण परंपरा होती है जिसमें शादी के सात फेरें, जिनका बिना शादी अधूरी मानी जाती है पुरानी परंपराओं के अनुसार 7 अंक सबसे शुभ माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए शादी में सात फेरे लेने का मान्यता है।
ऐसा कहाँ जाता है मक मनुष्य को सात जन्म मिलते है इसलिए शादी के बाद पति-पत्नी का रिश्ता 7 जन्मों का साथी माना जाता है। शादी के समय दुल्हा-दुल्हन अपना वैवाहिक जीवन सुखमय बनाने के लिए 7 वचन लेते है। लेकिन क्या आप जानते है कि शादी में सात फेरों का क्या अर्थ हैं? अगर नही जानते है तो आज हम आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी को अवगत कराने जा रहे हैं तो आइए जानते है-
शादी में सात फेरों का क्या अर्थ हैं?
पहला वचन – पहले वचन में कन्या भर से कहती है कि तीर्थ यात्रा में आप मुझे हमेशा बिन तरफ स्थान देंगे।
दूसरा वचन – दूसरे वचन में कन्या भर से कहती है कि आप अपने माता-पिता की तरह ही मेरे माता-पिता का सम्मान करेंगे।
तीसरा वचन – तीसरी वचन में पत्नी अपने पति से कहती है कि आप हर परिस्थिति में मेरा साथ देंगे।
चौथा वचन – चौथा वचन में वधू वामांग आने की अनुमति लेती है।
पांचवा वचन – शादी के पांच में वचन में वधु अपने वर से घर के कार्यों लेनदेन या कोई अन्य खर्च मेरी जानकारी होनी चाहिए।
छठा वचन – छठे वचन में वधु अपने वर से हमेशा मेरा सम्मान करेंगे।
सांतवा वचन – सातवें और आखिरी वचन में वधु अपने वर इच्छा रखती है कि हमारे रिश्ते में पराई स्त्री नही आई चाहिए।
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